सितमगर पर नकेल....

Posted By Geetashree On 8:06 PM 9 comments

एनआऱआई दुल्हे का सपना ज्यादातर भारतीय लड़कियां देखती है...पंजाब इस मामले में सबसे आगे है..जहां मां बाप की ही नजर रहती है विदेशो में रहने वाले लड़को पर। प्रवासी लोगो की नजर रहती है भारतीय लड़की पर. अपने बेटे का ब्याह भारत में करना चाहते हैं ताकि भारतीय संस्कृति में पगी एक लड़की मिल जाए..वही सेवा भाव...कृतज्ञता का भाव लिए हुए हो..उनके वैभव के सामने दबी रहे..अय्याशी करने के लिए गोरी छोरी और शादी करके घर बसाने के लिए भारतीय सती सावित्री चाहिए. क्या पाखंड है...इस झांसे में ना जाने कितनी लड़कियां, परिवार आते जा रहे हैं..लड़कियां कुरबान हो रही है...मारी जा रही है...गायब कर दी जा रही है..फिर भी मां बाप नहीं चेत रहे हैं..नजर है कि लंदन अमेरिका से आने वाले प्रवासी पक्षियो पर ही टिकी है।

जैसे खाड़ी देशो में भारतीय मजदूरो के पासपोर्ट मालिको द्वारा जब्त कर लिए जाते हैं..वैसे ही भारतीय दुल्हन का पासपोर्ट ससुराल वाले अपने कब्जे में कर लेते हैं। उसके बाद शुरु होता है प्रताड़ना का दौर...वह भाग नहीं सकती..आसपास कोई अपना नहीं...जहां फरियाद करे...वह शहर का नक्शा तक नहीं समझ पाती कि यातनाओं का दौर शुरु...। खुशकिस्मत लड़कियां लौट आती हैं जिनकी किस्मत खराब वे या तोयातना सहने की आदत डाल लेती है या खुदकुशी कर लेती है...आए दिन एसी खबरे आती रहती है...ये मामले जगजाहिर है...इस मसले पर केंद्र सरकार भी गंभीरता से विचार कर रही थी...आखिर एक विचार सामने आया कि प्रवासी दूल्हे से शादी करने वाली लड़कियो को दो पासपोर्ट दिया जाए। एक पासपोर्ट लड़की साथ ले कर जाए और दूसरा अपने मां बाप के पास छोड़ दे। मुसीबत पड़ने पर मां बाप विदेश जाकर अपनी बेटी का ला सकेंगे। महिला व बाल विकास मंत्रालय ने इस विचार को अमल में लाने का जिम्मा नेशनल वीमेन कमीशन को सौंपा है। जल्दी ही कमीशन इस पर कोई ठोस काम करने वाली है..जाहिर है सभी पहलूओं पर विचार करना होगा। ये इतनी आसान राह नहीं है...एसी शादियो का अलग से पंजीकरण किए जाने का प्रस्ताव भी आया है। इसके लिए सरकार को राज्यवार निगरानी रखना होगी...सबसे ज्यादा पंजाब प्रभावित है इनसे। जहां पूरा का पूरा गांव प्रवासी है या जहां की तमाम लड़कियां विदेशी दूल्हों को ब्याह दी जाती है.

इन सब पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है तभी सरकार की आंख खुली। सरकार तो बाद में आती है..क्या पहले घरवालो को नहीं चेतना चाहिए। क्या खतरनाक सपनो को आंखों से बेदखल नहीं करना चाहिए...सिवाए विदेशी जमीन के वहां क्या रखा है। भारतीय दुल्हे किस मायने में कम हैं..हालात बदल चुके हैं..भारत अब इंडिया बन गया है..एक से एक हैंडसम सैलरी वाले लड़के हैं..उनके परिचित परिवार है। दूरिया कम हैं..अपने लोगो का संसार है...काम करने के अवसर है...विद्रोह के लिए मंच है..भाषाई संकट नहीं...थोड़ी सूझ-बूझ के साथ अपनी जमीन पर किसी संकट का सामना किया जा सकता है...बिना किसी मारे मरे भी यहां स्वर्ग पाया जा सकता है....

इन सब मसलो पर लड़की समेत घरवालो को भी सोचने की जरुरत है...फिर से कोई किरण ना हो जो अपने पति के अत्याचारो से ऊब कर उसे जला दे। आपको जगमोहन मुंदरा की फिल्म प्रोवोक्ड याद है ना..

ये फिल्म एक सत्यकथा पर आधारित है...क्या करती वह लड़की...उसके सामने रास्ता क्या बचा था...या क्या रास्ता छोड़ा गया था...उसे दो मौत मे से एक चुननी थी..उसने उसकी चुनी जो उसे यातना देता था...जिसने नरक में झोंक रखा था...यातना की इंतेहा होती है..तब जाकर एक औरत किलर बनती है। हम एसी नौबत क्यो आने देते हैं कि सपनीली आंखें खूनी हो जाती हैं...सोचो...सोचो...

पता नहीं दो दो पासपोर्ट इस समस्या को कैसे सुलझा पाएगी...जिस रिश्ते में इतनी आशंकाए हो वहां क्यो जाना..उधर का रुख क्यो करना...पासपोर्ट लेकर छटपटाते मां बाप को मौका नहीं भी तो मिल सकता है..। कहानी कभी भी बदल जाती है...सरकार से ज्यादा मां बाप को चेतने की जरुरत है। प्रवासी परिवार से रिश्ता जोड़ने को अपनी खुशकिस्मती मानने वाले परिवारो को अपनी मानसिकता बदलने की जरुरत है...