सच को बाहर ना आने दो

Posted By Geetashree On 8:13 AM 6 comments
सच बोलना आसान है, सुनना उतना ही मुश्किल। सच बोलने का नतीजा देख लिया ना..पति ने सच बोला, पत्नी ने सुना और कोई प्रतिक्रिया नहीं..पति ने सुना पत्नी का सच और सह नहीं पाया, देर रात फांसी लगा कर मर गया। क्या सच इतना भयानक होता है कि सुनने के बाद मौत ही एकमात्र रास्ता बचता है।

दिल्ली से सटे एक उपनगर में एसा ही हादसा हुआ है जिसकी खबर ने दिन भर बेचैन रखा। टेलीविजन का खेल अपने घर में खेलने चले एक नवदंपत्ति को सच का सामना इतना भारी पड़ा कि जीवन ही हाथ से छूट गया। पति, शादी से पहले का सच बर्दाश्त नहीं कर पाया। पत्नी ने जब शादी से पहले संबंधो का खुलासा किया तो पति के होश उड़ गए। दोनों का प्रेम विवाह हुआ था। एक साथ काम करते हुए प्रेम हुआ फिर विवाह,,..जीवन में सब ठीकठाक चल रहा था। अचानक टीवी पर सच का सामना देखते हुए पति ने पत्नी को प्रस्ताव दिया कि हम भी एक दूसरे से सवाल पूछते हैं जिनका जवाब सच्चाई से देना होगा। खेल खेलने से पत्नी ने मना कर दिया। पति नाराज हो गया और पत्नी के कमजोर नस पर चोट करते हुए होने वाले बच्चे की कसम दे दी। पत्नी मान गई। औरतो के लिए अपने बच्चे की कसम खाना बड़ी बात है। फिर वे झूठ नहीं बोल पाती...
इसीलिए पति के पूछते जाने पर वह सच बोलती गई...शादी से पहले के प्रेम संबंधों के बारे में खुलासा भी हुआ,,,होना ही था। सवाल धीरे धीरे व्यक्तिगत होते चले जाते हैं...पति को यही तो जानना था..सच जानते ही वह विचलित हो गया। तनाव इतना बढा कि अपने जीवन की बाजी हार बैठा। उसके मर्दाना अहम को इतनी चोट लगी कि वह अपने वर्त्तमान जीवन और संबंधों की खुशियां भी भूल गया। वह शायद पत्नी की जिंदगी में दूसरा मर्द होना सह नहीं पाया या कौन सी बात हुई जिसके कारण कोई इतना खौफनाक फैसला ले लेता है। क्या वह इस खुशफहमी में जी रहा था कि पत्नी की जिंदगी का वह पहला मर्द था।

आज हम ऐसे दौर में जी रहे है जब महानगरीय जीवन में वर्जिनीटी कोई मुद्दा नहीं रहा. खासकर नई पीढी के लिए। नई पीढी के लड़के लड़कियां एक दूसरे का सच जानते हैं..प्रेम के दौरान वे एक दूसरे के अतीत को जान लेते हैं और सब कुछ भूलाकर नया रिश्ता जोड़ते हैं। फिर इस जोड़े को क्या हुआ...पत्नी ने भी उसका सच सुना होगा। अतीत को बिता हुआ कल मान कर उसे दिल पर नहीं लिया। लेकिन पति जरा से सच से टूट गया। कितने कमजोर धरातल पर खड़ा होगा रिश्ता कि अतीत के किस्से ने जीवन ही छीन लिया।

स्त्री विर्मश पर आयोजित एक सेमिनार में बोलते हुए स्त्रीवादी लेखिका मनीषा ने एक सच का उदघाटन किया कि शादी के बाद सुहाग रात में अधकांश पति अपनी पत्नी से अपने पहले प्रेम के किस्से चटकारे लेकर सुला डालते हैं.. तब ना भी सुना पाए तो कुछ दिन बाद ही बता जरुर देते हैं। पर कितनी बीबियां एसा कर पाती हैं। हैं उनमें इतनी हिम्मत..या है सुनने का साहस किसी मर्द के पास। जीवन भर औरतें अपने पति से अपने पहले प्रेम के बारे में नही बता पाती है..ना ही पति सुनना चाहता है। यह एसा सच है जिससे दोनों बचते हैं। क्यों...सोचिए...एक मर्द अनेक औरतों से अपने संबंध का बखान वीरता के किस्से की तरह सुनाता है, औरत के पास कोई चारा नही..उसे तो वर्त्तमान में मिले अपने हिस्से के मर्द से मतलब होता है। अतीत का बोझ नहीं ढोती ये। बहुत कम मर्द मिलेंगे जिन्हें अपनी पत्नी के पूर्व प्रेमियों के बारे में जानने की इच्छा हो या उसी उदारता के साथ किस्से सुने। कुछ उदारमना मर्दों ने अगर सुन भी लिया या जान गए तो कभी इसका जिक्र तक नहीं चाहते ना ही याद करना चाहते हैं..भले पति की पूर्व गर्लफ्रेंड कभी सामने जाए और मुस्कुराती हुई औरतें उनको चाय काफी आफर कर दें..दर्द यहां भी हरा होता होगा लेकिन सुकुन इस बात का कि अब वो ही उसका सबकुछ है। पत्नी गल्ती से भी अपने किस्से उठाए तो पतिनुमा जीव का चेहरा देखने लायक होता है...मेरे एक करीबी मित्र हैं। उनकी शादी के दस साल हो गए, मगर आज भी वे अपनी पत्नी को गाहे-बगाहे पहले प्रेमी को लेकर ताना मारते रहते हैं....पत्नी को उनका किस्सा भी मालूम है, मगर वो करें तो मर्दानगी...औरत करे तो पाप...वाह वाह तेरी लीला...ये लीला प्रभु के अवतार पुरुषों की कैसी दुनिया है। जहां आप करे तो सब जायज..हम करे तो घोर पाप...

कुछ मर्दो के तो समाज में हाल ये देखा कि उनकी शादी के मंडप में ही उनकी प्रेमिकाएं धमक गईं और संबंधों के तमाम सबूत पेश करने के बावजूद उसे बेरंग लौट जाना पड़ा क्योंकि दुल्हन ने दुल्हे का ही साथ दिया। आए दिन एसी खबरे पढने में आती है...कभी .ये नहीं सुना कि उसके उल्टा कुछ हुआ हो...लड़का टपक पड़े..अगर टपक पड़ता तब भी क्या दूल्हा उसी तरह सेहरा बांधे खड़ा रह पाता। नहीं..तब तो उसके समेत पूरे परिवार की इज्जत चली जाती...आखिर एक स्त्री के माथे पर ही तो इज्जत का दारोमदार है.. स्त्री ही इज्जत है...इज्जत स्त्रीलिंग है..स्त्री का पर्यायवाची भी। वो गई तो समझो जान गई..अपनी नहीं तो उसकी, उसकी नहीं तो अपनी.. दोनों ही तरह के मामले में जीवन खत्म हो रहा है...