tag:blogger.com,1999:blog-81834850048151484012024-03-13T15:44:52.541-07:00नुक्कड़Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.comBlogger124125tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-27553689367001232842020-12-21T06:21:00.004-08:002020-12-21T06:21:57.926-08:00 रचना-सूत्र-गीताश्रीएक कृति से दूसरी
कृति जन्म लेती है. वह महान कृति होती है जिससे दूसरी कृति निकलती है. वह किताब
महान जो दूसरी रचना का सूत्र देती है.
कसौटी कई तरह की
होती है कृति को क़सने की. आज सबके पास एक कसौटी है.
जरुरी नहीं कि वह
कसौटी सही हो. असली कसौटी की पहचान भी मुश्किल है. निगाहें चाहिए. सच आँख भर नहीं
होता. आँख के रास्ते विवेक की आंच में सच को सींझना होता है. जैसे कोई बेटी ,
Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-58243453325598708282020-12-20T04:01:00.000-08:002020-12-21T06:22:37.650-08:00 ब ह स
"क्या बाज़ार
साहित्य का मूल्य तय कर सकता है? क्या बिक्री के आँकड़े साहित्य की श्रेष्ठता के मूल्यांकन के लिए कसौटी बन
सकते हैं?"
बाज़ार साहित्य
पर हावी है, कंटेंट से लेकर
बिक्री तक. बाज़ार मूल्य अलग तरह से तय कर रहा है. एक जमात है जो बाज़ार को दिमाग
में रख कर लिख रही है. उसका लक्ष्य किताब बेचना और पाठक बनाना है. उसे साहित्य की
शुचिता या आग्रहों से कोई मतलब नहीं. वह Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-24532124959463741692020-12-02T20:39:00.000-08:002020-12-21T06:23:02.733-08:00 वरिष्ठ लेखिका अनामिका का खत, गीताश्री के नामराजनटनी उपन्यास पढ़ने के बाद उपजी प्रतिक्रिया जो खत में ढली....प्रिय गीता,
इतिहास के साथ,
वह भी मिथिलांचल ओर
तिरहुत - जैसे श्रुतिबहुल क्षेत्रों के साथ महाकाल की लुकाछिपी अपने साहित्य में
मंचित करने वाली उषाकिरण खान की परम्परा में आज तुम भी खड़ी हो -अपनी ‘राजनटनी’ की मृणाल-सदृश बाँहें गले में लपेटे हुई। यह
देखकर मेरी माँ, तुम्हारी ‘जायसीGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-39628495909692416292020-07-24T00:57:00.001-07:002020-07-24T01:02:06.930-07:00
फिल्म
“हर अमृता को रिस्पेक्ट और
हैप्पीनेस चाहिए , थप्पड़ वाला
प्यार नहीं “
-गीताश्री
ऐसी उम्मीद
दिवास्वप्न है।
कहाँ है ?
किस व्यवस्था से उसे उम्मीद है? वर्तमान पारिवारिक ढाँचे में तीन हज़ार साल से
कोई बदलाव नहीं आया तो अब क्या आएगा? नसों में जो ग़ुलामी उतार दी गई है, उसे कैसे बाहर निकालेंगे? थप्पड़ एक फ़िल्म
नहीं, स्त्री के स्वाभिमान का
लहूलुहान चेहरा है. सदियों के थप्पड़ों Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-13313992712350558292020-07-24T00:13:00.002-07:002020-07-24T00:13:52.819-07:00
सभ्यता की पुर्नखोज में
अर्चना के चित्र
-गीताश्री
समकालीन चितेरी अर्चना
सिन्हा के चित्रों से इसी काल में गुजरी हूं। बड़ा गुमान था कि कला पर लिखती हूं
और कलाकारो को जानती हूं। पिछले 25 वर्षों से चित्रकारी कर रही अर्चना के चित्रों
को कैसे न देख पाई थी। वो छुपी थीं या मैं बेपरवाह थी। दोनों के कदमों में
हिचकिचाहट थी। नाम से जानते थे, काम से नहीं। जब काम यानी कला पास आती है तब काल भूल
जाते हैंGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-11003637876000226542018-03-18T03:33:00.000-07:002018-03-18T03:33:13.433-07:00
आलेख
विषय-
महिला लेखन की चुनौतियां और संभावना
-गीताश्री
“कोई औरत कलम उठाए
इतना दीठ जीव कहलाए
उसकी गलती सुधर न पाए
उसके तो लेखे तो बस ये है
पहने-ओढे, नाचे गाए...”
----(वर्जिनिया वुल्फ)
प्रसिद्ध स्त्रीवादी लेखिका वर्जिनिया वुल्फ ने जिन दिनों औरत और कथा साहित्य
विषय पर भाषण देने की तैयारी कर रही थीं उन दिनों जो उन्हें सदमा लगा होगा, उसकी
सहज कल्पना की जा सकती है। उस समय यह Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-66587205625483288342017-10-29T03:41:00.001-07:002017-10-29T03:41:31.765-07:00
मी टू अभियान नहीं, आंदोलन है
आत्मा का अंधियारा पक्ष है यौन हिंसा
-गीताश्री
दस साल पहले महिला एक्टिविस्ट तराना बुर्के
ने जब अपना दुख-दर्द दुनिया से साझा करते हुए कहा होगा कि यह दुख मेरी आत्मा की
गहराई में धंसा हुआ है और मेरी आत्मा का अंधियारा पक्ष है, तब दुनिया ने बहुत गौर
से इसे नहीं सुना, न ही खास तवज्जो दी। उस समय किसी को अहसास नही होगा कि एक दशक
में दुनिया इतनी बदल जाएगी कि उन Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-55527298407617252102016-03-22T09:35:00.000-07:002016-03-22T09:35:51.743-07:00
समीक्षा
सीमित आकाश के बाहर अनंत उड़ान की कहानियां
Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-27146646981835388522016-01-31T03:09:00.000-08:002016-01-31T03:17:00.782-08:00
समीक्षा
प्रार्थना
के बाहर एवं अन्य कहानियां
(वाणी
प्रकाशन)
---कलावंती
यह नैतिकताओं का संक्रांतिकाल है । गीताश्री की कहानी की
नायिकाएँ इस बात को बखूबी सिद्ध करती हैं। वे तेज
हैं, समझदार हैं ,पढ़ी लिखी हैं
और बेहद संवेदनशील भी हैं। उनकी बोल्डनेस में भी एक मासूमियत है। वे बस
उतनी ही शातिर हैं, जितने
में अपनी Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-78347129109683381872014-09-14T20:14:00.000-07:002014-09-14T20:14:35.239-07:00
युवा कथाकार कवि पंखुरी सिन्हा की कहानी का आश्चर्यलोक
पंखुरी सिन्हा के मन मिजाज
को उसके बचपन से जानती हूं। उसके लेखन को बहुत देर से जान पाई। होस्टल में फुदकती
हुई, गौरेया-सी, शाम को मस्ती में मेरे पास आने वाली एक नन्ही लड़की कब कहानीकार
में बदल गई, पता ही नही चला। कुछ हम गाफिल रहे जमाने से, या जमाना हमसे रहा..।
दोनों तरफ से दूरियां रहीं। पर जब दूरियां कम हुईं तो पंखुड़ी की कहानियां मेरेGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-29469890466988557442013-11-19T03:24:00.001-08:002013-11-19T03:24:48.948-08:00नवल जी की कविता
हर कहानी के बाद,
खाली पड़े हिस्से में,
रक्तबीज के वेश में सवाल रक्तपात मचाते हैं,
कहीं कोई अपने कपड़े ठीक कर रही होती है,
तो कोई जीतने का भ्रम पाल,
अपनी मुंछों पर ताव देता है,
कुछ रुदालियां रोती हैं,
कुछ लाशें जमीन पर बीती रात का सच बताती हैं।
अखबारों के पन्नों में भी कभी कभार,
किसी कहानी के बाद की कहानी छप जाती है,
और कोने में खून की कुछ बुंदें या फ़िर कभी,
फ़ुलों का गुच्छा लिये Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-87993612932756771732012-05-09T03:51:00.001-07:002012-05-09T03:51:40.344-07:00बदनाम बस्ती की जिद्दी लड़की की एक और जिद
देसी चीयर्स लीडर के ठुमके
गीताश्री
बदनाम बस्ती की सबसे जिद्दी लडक़ी इन दिनों बेहद चिंतित और गुस्से में है। उसे बेचैन कर दिया है इस खबर ने कि उस बस्ती की लड़कियां अब बिहार के गांवों, कस्बों में होने वाले रात्रिकालीन क्रिकेट मैचों में चीयर्स लीडर बनकर जा रही हैं। बात सिर्फ चीयर्स लीडर की नहीं है, इसकी आड़ में देह के धंधे का एक नया रूप शुरू हो गया है। लोगो की जरुरत के हिसाब से बस्ती की चीजें Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-47540992376076922272012-02-17T03:40:00.000-08:002012-02-17T04:05:21.394-08:00एक लंबी चुप्पी के बाद.....दोस्तोमैं एक बार फिर से हाजिर हूं...लंबी चुप्पी के बाद। मैंने पिछले दिनों अपने शोधकार्य के सिलसिले में खूब यात्राएं की..वन वन भटकी..देश विदेश चक्कर काट आई..अब थिर हो गई हूं...अब लिखने का काम शुरु...इन दिनों कविताएं, कहानियां..रचनात्मक लेखन का जुनून सा है...दोबारा ब्लाग से जुड़ रही हूं...सो सोचा..पहले आपको एक अनगढ कविता पढवाऊं..अनछपी..यात्रा के दौरान लिखी गई..किसी एकांत में..गीताश्रीतुम अपनी देह Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-64989385550724087042011-10-28T02:37:00.000-07:002011-10-28T02:52:05.221-07:00दुखते हैं खुशबू रचते हाथगीताश्रीयहां इस गली में बनती हैं मुल्क की मशहूर अगरबत्तियांइन्ही गंदे मुहल्ले के गंदे लोगबनाते हैं केवड़ा, गुलाब, खस औररातरानी अगरबत्तियां.दुनिया की सारी गंदगी के बीचदुनिया की सारी खुशबूरचते रहते हैं हाथ।---अरुण कमल की कवितामैंने कुछ साल पहले अचानक नेट पर अपने प्रिय कवि अरुण कमल जी की कविता खूशबू रचते हाथ पढी थी। कविता मेरे जेहन में दर्ज हो गई थी। ये उस कौम पर लिखी गई है जिसकी तरफ हमारा ध्यान कभीGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-83631030819406929662011-10-19T03:49:00.001-07:002011-10-19T03:51:11.294-07:00बोल..कि बोलना है जरुरीफांसीघर में चीखगीताश्रीस्त्रियों के खिलाफ हो रहे पारिवारिक आतंकवाद पर आधारित फिल्म ‘बोल’ (निर्देशक-शोएब मंसूर) देखते हुए भारतीय महिला प्रेस कोर्प, दिल्ली की सभी सदस्यों की आवाजें एक अंधेरी और गहरी चुप्पी में बदल गई थी। मूक, स्तब्ध और अवाक। तीन घंटे लंबी फिल्म आपको वांछित मनोरंजन नहीं, किसी यातना शिविर से गुजरने जैसा अहसास दे रही थी। शायद कलेजा मसोस कर देखने वाली यातना का लाइव टेलीकास्ट। फिल्म Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-49478428237044869502011-05-04T00:15:00.000-07:002011-05-04T00:43:42.841-07:00ओ किटी..रहोगी यादगीताश्री‘मैकलुस्कीगंज? एंग्लो इंडियनों का यह गांव आखिर है क्यों? यही एक सवाल है जो संपूर्ण मैकलुस्कीगंज को संतप्त करता रहा है।’डेनिस गहरी सांस लेकर कहते थे-‘इसलिए कि हमारी यह नस्ल ईश्वर का एक क्रूर मजाक रही है बेटे। कहते हैं, लॉर्ड कर्जन ने एक बार कहा था कि ईश्वर ने हम ब्रिटिशों को बनाया, ईश्वर ने इंडियंस को बनाया और हमने एंग्लो इंडियंस बनाया। यही विडंबना एंग्लो इंडियंस की रही है बेटे। हम न Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-33376015662477189282011-04-22T05:06:00.000-07:002011-04-22T05:15:12.382-07:00शाइना नेहवाल के रैकेट और शटल कॉर्क नहीं, देखिए उसकी उछलती स्कर्ट!विभा रानी छम्मक्छल्लो का उन सबको प्रणाम, जो हमें सेक्स ऑबजेक्ट बनाने पर आमादा हैं. पोर्न साहित्य देखें, पढें तो आप अश्लील. छम्मक्छल्लो उन्हें अधिक ईमानदार मानती है. छम्मक्छल्लो उनकी बात कर रही है, जो आम जीवन के हर क्षेत्र में हमारी आंख में उंगली डाल डालकर ये बताने में लगे रहते हैं कि ऐ औरत, तुम केवल और केवल सेक्स और उन्माद की वस्तु हो. भले ही तुममें प्रतिभा कूट कूट कर भरी हो, तुम सानिया हो कि Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-25282289808288483392011-04-19T04:18:00.000-07:002011-04-19T04:29:08.681-07:00मर्दाने चरित्र प्रमाण-पत्रमनीषाचरित्र चरमराने से परेशान औरतों में लेखक, साहित्यकार, पत्रकार, बैंकर, अदाकार, कवि, कलाकार, डॉक्टर, इंजीनियर, से लेकर भाजी वाली, घरेलु काम वाली, बीपीओ में रात्रि-पाली करने वाली, नर्स, घरवाली, मास्टरनी या बाबूगिरी करने वाली सभी शामिल हैं। अपने समाज में औरत होने का मतलब ही है, दुविधाओं में ग्रस्त रहना। दूसरों यानी पुरूषों के लिए शोक में लिपटी रहना। आचार-व्यवहार पर चरित्र की चाशनी का मुलम्मा Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-71385815879900300182011-04-07T06:41:00.000-07:002011-04-07T07:11:00.324-07:00अन्ना की आंधी में हम भी उड़े, आप भी जुड़ेगीताश्रीदोस्तो, जल्दी में थोड़ी सी बात...आज अन्ना की आंधी में मैं भी उड़ी। दिन भर एसएमएस भेजे..दोस्तो से अपील की कि वे जंतर मंतर जाए..भले थोड़ी देर के लिए। एक इतिहास वहां रचा जा रहा है, उसके हिस्से बनें, अपना योगदान दें। जो लोग व्यक्ति केंद्रित प्रलापो विलापो में जुटे हैं उन्हें सदज्ञान आए कि इस वक्त मुद्दे कितने महत्वपूर्ण हैं। आप दूर हैं, कोई बात नहीं..हुक्मरानों को हिला देने वाले एक आंदोलन को Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-81336654490834083662011-03-07T20:42:00.000-08:002011-03-07T21:00:39.142-08:00बोल कि लब आजाद हैं तेरे...महिला दिवस पर विशेष....कुछ कविताएं, कुछ टुकड़ें..गीताश्रीतुम इलाहाबाद के पथ परपत्थर तोड़नेवाली बाला नहींजिसे निराला ने देखा थातुम शरत के उपन्यासों की नायिका नहीं,लारेंस,काफ्का, मंटो और राजकमल की लेखनी ने तुम्हें नहीं रचा,भीष्म साहनी की बासंतीया आलोकधन्वा की भागी हुई लड़कियों में भीतुम्हारी गिनती नहीं हो सकतीतुम्हें मैं नारी मुक्ति आंदोलन की नायिकाओं की श्रेणी में भी नहीं पातातुम्हें पेट भरने के Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-77155545887302580932011-02-13T19:55:00.000-08:002011-02-13T20:20:53.373-08:00लोकगीतो में स्त्रीमुक्ति का नादयह खबर मुझे बहुत अच्छी लगी.यह चीज हरेक लोकभाषा में मिलेगी.....महिला समाख्या द्वारा संकलित किए जा रहे हैं स्त्री मन की थाह लेने वाले गीत....गीतो के जरिए महिलाओं के दुख-दर्द समझ कर इन्हें दूर किए जाने का होगा प्रयास...अबतक नैनीताल से 20, टिहरी से 75, दून से 25, उत्तरकाशी और पौड़ी से दस दस लोकगीत एकत्रितलोकगीत पहाड़ के आम जनजीवन की थाह पाने का सटीक जरिया है।इनमें वर्णित पहाड़, नदियां, मेले, Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-688252900304995362011-02-08T09:18:00.000-08:002011-02-08T09:28:59.049-08:00प्यार से भी जरुरी कई काम है..गीताश्रीमोबाइल पर आने वाले कुछ एसएमएस बड़े सटीक होतें हैं और उनका सामाजिकयथार्थ आपकी आंखें भी खोल देता है।एक ताजा संदेश पढिए--फुलफार्म औफ गर्ल-जी-गोली देने में सबसे आगेआई-इनोसेंट सिर्फ शक्ल सेआर-रोने धोने की आटोमेटिक मशीनएल-लड़ने में सबसे आगेजागो मुंडया जागोये संदेश किसी मर्दवादी कुंठित सोच की उपज है जो लड़की को अपने ढंग से, अपने अनुभव से परिभाषित करती है। ये अपना अपना परसेप्शन भी हो सकता हैलेकिनGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-87548163803368511722011-01-19T00:58:00.000-08:002011-01-19T01:13:01.710-08:00यौन उत्पीडऩ विधेयक उम्मीदों पर खरा नहीं मनीषा भल्ला आओ, बैठो, नाड़ा खोलो..,पंजाब राज्य समाज कल्याण विभाग का एक उच्च अधिकारी काम के सिलसिले में महिला कर्मियों को अपने कैबिन में बुलाकर यही कहता था। महिला कर्मचारियों का फक्क पीला चेहरा देखकर अधिकारी मुस्कुराते हुए कहता-ओह यानि अपना नहीं, फाइल दा नाड़ा खोल (अपना नहीं यानि फाइल का नाड़ा खोल)।नाड़े से अधिकारी का मतलब फाइल का टैग था। दस साल पहले जब सरकारी कार्यालयों में यौन उत्पीडऩ संबंधी Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-81236223041976138912010-12-17T23:53:00.000-08:002010-12-18T00:11:55.589-08:00तंबाकू मुक्त पहला देश भूटानगीताश्री हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक बैठक में 172 देशो के प्रतिनिधि तंबाकू उत्पादो की बिक्री और इस्तेमाल को नियंत्रित करने के लिए सहमत होगए हैं।इससे जहां तंबाकू के खिलाफ अभियान चलाने वाली एजेंसियों को काफीराहत मिली है, वहींभारत में केंद्र सरकार के इस मसले पर ढीले ढाले रवैयेपर खासी नाराजगी भी है। ऐसे में यह खबर सूकूनदायक है कि भारत का पड़ोसी देश, दुनिया का पहला तंबाकूमुक्त राष्ट्र बन Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-37894754433144688012010-12-13T02:49:00.000-08:002010-12-13T09:08:52.624-08:00मंत्रसिक्त हवाओं में नई राहो की तलाशगीताश्री तो सुख-दुख, आकांक्षा और हार,उदासी और उत्साह,वर्तमान भविष्य के अनुभव को धीमा कर देना और हर दो तस्वीरों के बीच नई राहें और नए शार्टकट ढूंढना,मेरे जीवन में सिगरेटों का यही मुख्य उद्देश्य था,जब ये संभावनाएं नहीं रहती,आदमी खुद को नंगा जैसा महसूस करने लगता है,कमजोर और असहाय।- ओरहान पामुक (तुर्की के नोबेल पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार)सिगरेट छोडऩे के बाद पामुक का अनुभव ये था। लेकिन सिक्किम बिना Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.com4