प्रेम में वासना

Posted By Geetashree On 11:24 PM 9 comments
कृष्ण बिहारी
मैं
इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता कि प्रेम में वासना का कोई स्थान नहीं है. मैं न स्वयं से झूठ बोल सकता हूं और न दूसरों से. प्रेम में आदर्श और अशरीरी जैसी स्थिति की जो लोग वकालत करते हैं, वह मेरी समझ में केवल लाचारी है. हमारे देश में चूंकि प्रेम को लेकर समाज स्त्री- पुरूष की सोच में बंटा हुआ है और स्त्री आज भी यह कह पाने की स्वतंत्र स्थिति में नहीं है कि उसने अपने प्रेमी के साथ जिस्म शेयर किया है. इसलिए वह ज़ोर देकर झूठ बोलती है कि प्रेम में शरीर की मांग बेमानी है. वह डरती है कि यदि उसने शरीर के सच को स्वीकार किया तो उसका भविष्य नष्ट हो जाएगा.
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