अब मर्दों की भी एक रौनक गली

Posted By Geetashree On 3:48 AM 9 comments

शिखा गुप्ता
लास वेगास(अमेरिका) की रंगीनियत के किस्से दुनिया को पता है। कहते हैं, जो कहीं नहीं होता, वो वहां होता है...वहां गैर कानूनी कुछ भी नहीं। कैसीनो से लेकर देह व्यापार तक..यानि कुछ भी..कोई भी शय। जिनकी जेब गरम रहती है उनके लिए वह स्वर्गगाह है। लास वेगास से एक ताजा खबर आई है एजेंसियों के हवाले से, पुरुष सेक्सवर्कर के बारे में। अभी तक आपने सिर्फ उन वेश्यालयों के बारे में सुना होगा जहां महिलाएं धंधा करती हैं लेकिन जल्द ही पुरुष वेश्यालय भी होगा। अमेरिकी शहर लास वेगास के करीब नेवादा के ग्रामीण इलाकों में अब जल्द ही पुरुष सेक्स वर्करों की एक कॉलोनी बनने वाली है, जहां पर ये पुरुष अपनी सेवाएं देने लगेंगे। सूत्रों का कहना है कि नेवादा में बनने वाले इस वेश्यालय का नाम होगा 'शेडी लेडी रॉन्चÓ यहां से मेल प्रोस्टीटयूट को हायर किया जा सकता है। अमेरिका के इस छोटे से शहर में वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता है। हालांकि लंबे समय तक केवल महिला वेश्यावृत्ति को ही यहां मान्यता हासिल थी लेकिन अब यहां मेल वेश्यावृत्ति को भी मान्यता दे दी गई है। मान्यता मिलने के साथ ही इस शहर में पुरुष वेश्यालयों को बनाने का काम शुरू हो गया है।
जैसे ही यह खबर आई की नेवादा में मेल सेक्स वर्कर्स को कानूनी मान्यता मिल गई वैसे ही इस शहर में दूसरी जगहों से सेक्स वर्कर्स का आना शुरू हो गया। सूत्रों का कहना है कि अब तक यहां लगभग 20 हजार से अधिक मेल सेक्स वर्कर्स आ चुके हैं। जो पुरुष इस वेश्यालय में रहना चाहते हैं उन्हें अपने आपको यहां रजिस्टर कराना होगा। वहां उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। स्वास्थ्य परीक्षण पास होने के बाद उन्हें एक नंबर एलॉट किया जाएगा।इसके बाद ही वे इस धंधा करने लायक हो पाएंगे। इतनी भारी संख्या में पुरुषो का इसमें दिलचस्पी लेना उस देश के आर्थिक स्वास्थ्य के बारे में खुलासे करता है।
वैसे भारत समेत दुनिया के तमाम देशो में जिगोलो पहले ही देह व्यापार के धंधे में लगे हुए हैं। उनमें खुलेआम उतरने की हिम्मत अभी नहीं आई है। लुकाछिपी का खेल वैसे ही करते हैं जैसे कॉलगल्र्स। महानगरो में ये नया चलन है..इस पर यदा कदा अखबारो में छुपता भी रहता है। कई बार स्टिंग आपरेशन भी हुए..हाल के दिनों में इस विषय पर फिल्में भी आईं..मुंबई के कुछ जिगोलो ने अपनी पहचान जानबूझ कर उजागर भी कर दी। जानबूझ कर, शायद वे ऐसा चाहते थे कि धनाढय और तन्हा महिलाएं उन्हें पहचाने और उन तक पहुंचने में आसानी हो।
वह दिन दूर नहीं जब भारत तक इसकी आंच पहुंचेगी और कल तक अंधेरे में खेल खेलने वाले मर्द, फीमेल सेक्सवर्कर की तरह अपने लिए भी कानूनी मान्यता मांगने लगे।