बंद समाज में बिना शादी सेक्स का नया चलन

Posted By Geetashree On 9:30 AM


यकीन हो या ना हो, खबर सच है। क्योंकि खबर आई है उसी समाज के एक प्रतिनिधि के कलम से। किसी भी तरह के गैरशरीयत और गैरवाजिब यौन संबंधों पर बारीक और कड़ी नजर रखने वाले इसलामी देश सऊदी अरब में इन दिनों लीव-इन रिलेशनशीप का चलन जोर पकड़ रहा है। इसे तरजीह दे रहे हैं वहां के रुढिवादी लोग। ये वहां की नई पीढी का करिश्मा या उनकी प्रगतिशील सोच का अंजाम नहीं है ये। ये सीधे सीधे अर्थतंत्र से जुड़ा मामला है। ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाले अखबार गार्डियन की एक रिपोर्ट ने शरिया और इसलामी कानून की रोशनी में महिला-पुरुष के रिश्तों को लेकर एक नए विवाद का सूत्रपात कर दिया है। इस अखबार से जुड़े पत्रकार सईद नियाज अहमद ने दावा किया है कि सऊदी अरब के रुढिवादी तबके में औरत और मर्द मिस्यार निकाह के जरिए यौन-पूर्ति को तरजीह दे रहे हैं। चूंकि इस विधि से निकाह करने में महिला के प्रति जिम्मेदारी नहीं रहती और शादी के बाद मिलने वाले शौहरी हुकूक(पति के अधिकारो से वंचित) से वह वंचित रहती है। इस रिश्ते के पक्ष में कई तर्क दिए जा रहे हैं। और इसके फायदे गिनाए जा रहे है।


मसलन...इसमें दहेज, रिसेप्शन, वलीमा, घर की साज-सज्जा और बारात का खर्च..सबकी बचत कोई कम बड़ी बचत है क्या। बचत ही बचत...इसी बचत के लालच ने वहां लीवइन रिलेशनशीप को सामाजिक और धार्मिक स्वीकृति दिलवा दिया है।

इससे पैसो की घोर बचत होती है। वाह क्या दिमाग लगाया है। हमारे समाज में जब यह चलन आया तब भी और जब जोर पकड़ रहा था, तब भी ये सोच नहीं थी। यहां उद्देश्य बिल्कुल अलहदा थे और हैं भी। उस पर बहुत कुछ लिखा कहा जा चुका है। रिपोर्ट के अनुसार मिस्यार निकाह एक तरह का अनुबंध विवाह है जिसके तहत शादी के बंधन में बंधे बिना स्त्री-पुरुष जिस्मानी रिश्ते कायम कर सकते हैं। यह तरीका इस बात की भी छूट देता है कि जोड़े अलग रहकर यौन संबंध बना सकते हैं। मिसाल के तौर पर महिला अपने पिता के घर रह सकती है। जब चाहे पुरुष विशेष के पास जा सकती है। अगर किसी कारणवश जोड़े साथ नहीं रहते या किसी वजह से उनका रिश्ता टूट जाता है तो भी सेक्स के लिए वे चाहे तो मिल सकते हैं। मिस्यार शादी के रस्मों रिवाज से मुक्त होता है, साथ ही शादी के ताम-झाम से भी.रिपोर्ट के अनुसार सउदी अरब में यह चलन उन्हे ज्यादा रास आ रहा है जो कड़के हैं या जो महाकंजूस हैं। जेब खाली है मगर स्त्री अनिवार्य रुप से चाहिए। इस चलन से कुछ एय्याशों की बांछे खिल गई हैं। कुछ घटनाओं से उनकी मंशा साफ जाहिर हो रही है। एक शख्स अपनी पहली शादी टूट जाने से बड़ा परेशान था। उसे किसी ने सलाह दी कि वह मिस्यारी निकाह कर ले और मस्त रहे। अब तक वह व्यक्ति कई मिस्यारी विवाह कर चुका है। किसी रिश्ते में वह एक माह से ज्यादा देर तक नहीं रुका। रुकता भी क्यों..उसे धीरे धीरे इसमें मजा आने लगा होगा। हींग लगे ना फिटकरी...रंग चोखा आए...बिना दमड़ी खर्च किए, बिना किसी झंझट के उसे स्त्रियां मिलती रही वो एक के बाद एक...सफर करता रहा। ये सारे चलन पुरुष अपने हित को सोचकर ही बनाते हैं और उसे अपने स्वार्थ के लिए सामाजिक धार्मिक मान्यता दिलवा देते हैं। यह व्यक्ति जिसने अपनी जिंदगी को मिस्यारी प्रथा का प्रयोगशाला बना डाला, उसको औरतें जरुर नई नई मिलीं लेकिन वह किसी एक से भी कभी खुश नहीं रह सका। उसने उन औरतो पर ही आरोप जड़ दिया कि जितनी आईं वे सब पैसों, तोहफो की भूखी निकलीं। इल्जाम लगाते समय वह भूल गया कि वह खुद क्या कर रहा है। तब तो नई नई स्त्रियों का ख्वाब उसे उत्तेजना से भर देता होगा। लालची कह कर पीछा छुड़ाता रहा और आखिर आजिज आ गया। आदमी कई बार अपनी ही आकांक्षाओं का शिकार हो जाता है और अपनी ही आग उसे राख बना डालती है, जिस राख से कोई फीनिक्स पैदा नहीं होता। सऊदी की औरतो को भी आजादी का यह रास्ता बहुत रास आने लगा है। एसी खबरे आ रही है कि वे भी मिस्यारी अनुबंध को खुल कर अपना रही हैं। औरतो के नजरिए खबरे छप रही है कि मिस्यारी पत्नी एक से ज्यादा मिस्यारी पति से संपर्क बना रखा है। जानते हैं ये मिस्यारी पति कौन लोग हैं,,,,ये किसी औरत के पूर्णकालिक पति होते हैं जो अपाटर्मेंटस में फ्लैट लेकर मिस्यारी पत्नियां रखते हैं जिनके बारे में अपनी पूर्णकालिक पत्नी को भनक तक नहीं लगने देते। वहां स्त्रीवादी अब एसी ही पूर्णकालिक (पूर्णनिकाही) पत्नियों को उकसा रहे हैं कि वे क्यों किसी धोखे में रहें, क्यों ना वे भी एसे रिश्तों के बारे में सोचे। वे क्यों नहीं मिस्यारी पति तलाश लेतीं। मिस्यारी पति भी एक से ज्यादा मिस्यारी पत्नी रखने लगे है तो क्यों ना मिस्यारी पत्नियां अपने लिए एसी व्यवस्था कर लें। हिसाब बराबर....।
Mithilesh dubey
September 2, 2009 at 9:22 AM

ऐसा नियम हामरे समाज मे ना आये तभी अच्छा होगा। वैसे भी देखा जाये तो हमारे समाज मे ज्याद कुछ बचा नही है, यहाँ आजादी और हक के नाम पर बहुत कुछ मांगे जा रहे है। आप अच्छा लिखती हैं लिखती रहें, आपके लेख से जो एक बात पता चलती है वह यह कि आप समाज को लेकर जागरुक रहने वाली महिलाँओ मे से एक है।

दिनेशराय द्विवेदी
September 2, 2009 at 9:43 AM

बहुत अजीब बात तो नहीं है। लेकिन यह पोस्ट शादी की संस्था के खोखलेपन और उस के अंत की ओर इशारा करती है

प्रज्ञा पांडेय
September 2, 2009 at 10:56 AM

शोषण के नए नए तरीके ईजाद करते हैं ये लोग .. पुरुष इस कदर हावी हैं यह आपकी यह पोस्ट पढ़ कर और स्पष्ट हो रहा है

सुरेन्द्र Verma
September 2, 2009 at 12:52 PM

JI HAAN 50-50.

सुशीला पुरी
September 2, 2009 at 9:24 PM

लिब इन रिलेशनसिप का यह अरब कंट्री में एक नया
रूप लेकर आया है पर इसके पीछे भी वही हजारों साल
पहले की वेश्यालय जाने की प्रवृति ही काम कर रही है
और इस तरह तो स्थिति और भी भयावह ही होगी की
पूर्णकालिक पत्नियाँ भी वही रवैया अपनाएं ...............
कितनी घिनौनी और जुगुप्सा पूर्ण यह खबर ,पर यदि कोई खुद अपने पैरों में कुलाडी मारे तो कर ही क्या सकते हैं ???

अनिल कान्त
September 3, 2009 at 7:42 AM

ज्यादातर समाज में पुरुष अपने फायदे के कानून बहुत बनाता रहा है ...यह एक नया उदाहरण है