मैं खुशरंग गीता।।
निर्भय निर्गुण गाने वाली गीताश्री,
पत्रकारिता के जरिए दुनिया में ताक-झांक कर लेती हूं। ब्लाग से लेकर फेसबुक तक आवाजाही करती हूं। सपने देखती हूं, सपने बुनती हूं, छोटी छोटी बातो पर खुश रहने की आदत -सी है। साहित्य की दुनिया में भी घुसपैठ बना रही हूं। सकारात्मक विचारो के उजाले से भरी गठरी साथ लिए चलती हूं..
August 11, 2008 at 7:48 AM
मनोरम स्थल..सुंदर तस्वीरे..
August 11, 2008 at 9:18 AM
तस्वीरें अच्छी है और उन पर राजेंद्र किशोर की यह पंक्तिया फब भी रही है।
आपका ब्लॉग आज पहली बार देखा।
परिचय दमदार है।
शुभकामनाएं।
August 11, 2008 at 10:26 AM
मनभावन तस्वीरें. क्या भेडा़घाट, जबलपुर की हैं??
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