थोड़ा सा बादल, थोड़ा सा धुंआ

Posted By Geetashree On 8:31 AM 5 comments
गीताश्री
मेघालय की पहाडिय़ों पर कितना बादल है और कितना धुंआ....इसका अंदाजा अब लगाना मुश्किल है। ठंडी हवाओं में तंबाकू की गंध पैठ गई है।
जहां जाइए, वहां धुंआ उड़ाते, तंबाकू चबाते, खुलेआम तंबाकू बेचते खरीदते लोग..कानून की धज्जियां उड़ाते लोग-बाग। शिलांग की एक तंग गली में भीड़ ठुंसी हुई है। रोजमर्रा की चीजें खरीदने वालो की भीड़ और विक्रेताओं का बिक्री राग जोरो पर है। सब्जी वालो की लंबी कतार में आलू प्याज के साथ कुछ सूखी मछलियां रखी हैं और पास के टोकरे में तंबाकू के सूखे पत्ते। लोगबाग पत्ते ही खरीद रहे हैं। कुछ विक्रेता ऐसे भी हैं जो तंबाकू के चूर्ण बड़ी बड़ी टोकरियों में भर कर रखे हैं। औरते, बच्चे, मर्द अलग अलग क्वालिटी के तंबाकू-चूर्ण खरीद रहे हैं साथ ही सिरगेट बनाने वाला सफेद कागज भी। हाथ से सिगरेट बनाने वाला कागज अलग तरह का होता है जिसे तंबाकू के साथ ही बेचा जाता है। इस बिक्री पर कोई कानून नहीं लागू होता। सचित्र चेतावनी की यहां कोई जरुरत नहीं। केंद्र सरकार ने सचित्र चेतावनी छापने की अवधि बढा कर जहां तंबाकू कंपनियों को राहत दी है वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में खुलेआम तंबाकू बिना किसी पैक और चेतावनी के बिक रहे हैं।
तंबाकू बिक्री और इस्तेमाल के मामले में मेघालय में तो खुल्लमखुल्ला नियमों का उल्लघंन हो रहा है और राज्य सरकार इसकी अनदेखी कर रही है। वोलेंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया से जुड़े रोनाल्ड दोरजे तंबाकू की खुली बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध की हिमायत कर रहे हैं। वह चाहते हैं इस पर रोक लगे और इसे पैकेट में सचित्र चेतावनी के साथ बेचा जाए। इस पर रोकथाम के लिए वह डायरेक्ट्रेट ऑफ हेल्थ सर्विसेज के पास गए थे, पुलिस को पास गए, एक्साइज विभाग के पास गए। सबके सामने मुद्दा उठाया। तंबाकू की कुली बिक्री पर कानून में कोई रोक नहीं है। सूचना के अधिकार के तहत आवेदन भी किया। एक साल हो गए, इस पर कोई जवाब नहीं आया। रोनाल्ड कहते हैं, खुला बिकने वाले तंबाकू का कोई रिकार्ड नहीं रखा जा सकता। इसके विक्रेता टैक्स भी नहीं भर रहे। इसे कानून के दायरे में लाना चाहिए, तभी इसकी पैके जिंग होगी और सचित्र चेतावनी की योजना सफल हो पाएगी और सरकार को टैक्स भी मिलेगा।
शिलांग शहर में तो लोग खुलेआम, बेखौफ धुंआ उड़ाते हैं, किसी का चालान नहीं कटता। रोनाल्ड बताते हैं कि यहां कोई चालान सिस्टम नहीं है। पुलिस अधिकारी से पूछो तो बताते हैं कि अभी तक उन्हें ना चालान बुक मिले हैं ना कोई निर्देश। इसीलिए वे सार्वजनिक जगहो पर किसी को धुंआ उड़ाने से नहीं रोक सकते। रोनाल्ड निराश नहीं हैं। वह इस बात पर आमादा हैं कि जल्दी ही इसे मुद्दा बनाएंगे और सभी स्वंय सेवी संगठनों की मदद से राज्य सरकार पर दबाव बनवाएंगे। वह बताते हैं कि हम सभी महिला सगठनों, सामाजिक कार्यकत्र्ताओं और सरकार के नुमाइंदो को भी आमने सामने बिठा कर बात करेंगे और उन्हें ये घोषणा करने के लिए मजबूर कर देंगे कि अमुक तारीख से चालान सिस्टम लागू हो जाएगा। इससे शिलांग तंबाकू रहित हो ना हो, धुंआरहित तो हो ही जाएगा। रोनाल्ड इस सच को जानते हैं कि धुंआरहित कराने में भले उन्हें सफलता मिल जाए, तंबाकू रहित कभी नहीं हो पाएगा। फिर भी वह सरकार पर दबाव बनाना जारी रखेंगे। उनकी चिंता च्विंग टोबैको को लेकर ज्यादा है। स्कूली बच्चों से लेकर घरेलू औरते तक इस आदत का शिकार हैं।
तांबूल उनकी संस्कृति का हिस्सा है। लगभग 99 प्रतशित औरते, शहरी हो या ग्रामीण, तांबुल, कच्ची सुपारी चबाना उनकी आदत में शामिल है। धीरे धीरे उसमें तंबाकू के पत्ते शामिल हो जाते हैं। इसीलिए मेघालय में सबसे ज्यादा मुख कैंसर और आंत कैंसर के रोगी पाए जाते हैं। शिलांग में एंटी टोबैको लॉबी ने जागरुकता जगा कर कुछ काम जरुर किया है जिसके निशान शहर में इधर उधर दिखाई दे जाते हैं। चौराहो पर, सरकारी इमारतो पर तंबाकू के खतरे वाले पोस्टर लगे हुए दिख जाते हैं। सरकारी बाबुओ ने अपने दफ्तर में नो स्मोकिंग जोन लिख कर टांग दिया है। इनके प्रयासो से ईस्ट खासी हिल्स में टोबैको कंट्रोल सेल बन गया है भले ही वह निष्क्रिय है।