छत्तीसगढ़ के बालको में घरों को रौशन करने के लिए बनाई जा रही विशाल चिमनी ने ही सैकड़ों घरों को हमेशा-हमेशा के लिए अंधेरे में डूबा दिया है. इस घटना को दस दिन हो गये हैं लेकिन अब तक 41 मज़दूरों की हत्या की जिम्मेवारी तक तय नहीं हुई है. हालत ये है कि वेदांता की इस चिमनी में कितने मज़दूर काम कर रहे थे, इसका आंकड़ा भी छत्तीसगढ़ सरकार के पास नहीं है.
बालको नगर से आलोक प्रकाश पुतुल की रिपोर्ट
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October 5, 2009 at 5:32 AM
''kita bhayawah hai ye.......laparwah.
October 5, 2009 at 9:36 AM
गीता जी !आप इस तरह की खबरे ,
हम तक पहुंचा कर ..सरकार की ,
सम्वेदन हीनता को रेखंकित करती हैं !
साथ ही जनता को आगाह भी करती हैं !
आपकी कहानी निकट में पढ़ी थी .....,
मेरे ब्लॉग पर भी आयें !!!!!!!!!!!!!!!
October 6, 2009 at 10:45 PM
मैंने यह रिपोर्ट रविवार पर पूरी पढ़ी। जाहिर है सरकार अमानवीय होती जा रही है। जनता द्वारा चुनी गई सरकार पूंजीपतियों के हाथों में खेल रही है।
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