tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post8405235705023703980..comments2023-10-05T08:02:34.441-07:00Comments on नुक्कड़: देश स्वतंत्र, मगर नारी आज भी परतंत्रGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-77850850991174967662009-08-20T20:29:30.351-07:002009-08-20T20:29:30.351-07:00yeh toh sach hai ki aurat vahin hai per aise vicha...yeh toh sach hai ki aurat vahin hai per aise vichaar purushon ki ore se aane lage hain aur unako samrthan bhi mil raha hai .. ye sarahaniya hai .. prasun ji ko lekh ke liye dhanywaadप्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-86053989097039104282009-08-20T11:25:00.955-07:002009-08-20T11:25:00.955-07:00गीता जी आज तो हद ही हो गयी एक ही लेख दो दो बार मेर...गीता जी आज तो हद ही हो गयी एक ही लेख दो दो बार मेरे सामने घूम के आ चुका है अगर विस्वाश नहीं तो यहाँ देखे ,, हाँ मै इस बात से सहमत हूँ कि स्त्रियों कि दशा में जो मध्य युग (मुस्लिम और अंग्रेजो कि गुलामी के काल को मैंने मध्य युग का दर्जा दे रखा है )जी गिराबट आई थी उसमे सुधार जितने होने चाहिए थे उतने नहीं हुए (आप के हिसाब से बिलकुल नहीं हुए )क्या आप मुझे बाताने का कस्ट करेगी कि आजादी या स्वतंत्रता प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी)https://www.blogger.com/profile/01003828983693551057noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-48748272671756581052009-08-20T08:31:56.991-07:002009-08-20T08:31:56.991-07:00चिंता की बात है श्यामल जी. सुधार उतना हो नहीं रहा ...चिंता की बात है श्यामल जी. सुधार उतना हो नहीं रहा जितना दिख रहा. और जो दिख भी रहा है उससे रोज नई-नई समस्याएं खड़ी हो रही हैं. मुझे खुशी है कि प्रसून जी ने बातों को उलझाये बगैर बेहद सादगी से पुख्ता बात की है. समझ को खोलने की $जरूरत है. ऐसा सोचना ठीक है इसलिए ऐसा सोचेंगे की तर्ज से लड़कियों को भी बचना होगा. अच्छा लेख पढ़वाने के लिए शुक्रिया गीता जी!Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-46298025763528026292009-08-20T08:12:21.574-07:002009-08-20T08:12:21.574-07:00गीताश्री जी आपका धन्यवाद जो आपने प्रशून जोशी जी का...गीताश्री जी आपका धन्यवाद जो आपने प्रशून जोशी जी का लेख यहाँ लगाया..........कितनी सुन्दर और स्वप्निल बात प्रशून जी ने कही ----''वह दिन कब आएगा जब हम पापा के हाथों के खाने का स्वाद याद रखेंगे '' वह दिन तब आएगा प्रशून जी ;जब आप जैसे लोग इस पर बराबर कलम चलाएंगे .सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-58078551935547851042009-08-20T07:42:46.762-07:002009-08-20T07:42:46.762-07:00महिलाओं की सामाजिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है और...महिलाओं की सामाजिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है और यह निरन्तर जारी है। अतः चिन्ता की कोई बात नहीं। परम्परायें कभी एकाएक नहीं टूटतीं। लोहार के यहाँ जंजीर तोड़ने वाली बात पसन्द आयी।<br /><br />शुभकामना।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-57860726313234506592009-08-20T05:02:46.704-07:002009-08-20T05:02:46.704-07:00ये हक़क़ीत है और तब तक रहेगी जब तक कि हम इसके ख़िल...ये हक़क़ीत है और तब तक रहेगी जब तक कि हम इसके ख़िलाफ़ ठोस कदम नहीं उठाते , सबसे पहले महिलाओं को ही सोचना पड़ेगा , उनको लगता है थोड़ी बहुत आर्थिक और मनमर्जी से गूमने की आज़ादी मिल गई तो सब कुछ मिल गया, इस भरम से निकलना होगा...छलावे से बाहर आना होगा....चन्दन कुमारhttps://www.blogger.com/profile/10262314277358804438noreply@blogger.com