tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post7433023390906627091..comments2023-10-05T08:02:34.441-07:00Comments on नुक्कड़: चित्रलेखा, पाप और प्रेमGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-45699647650493781882018-11-21T05:26:31.910-08:002018-11-21T05:26:31.910-08:00This comment has been removed by the author.Dibya Ranjan Sahuhttps://www.blogger.com/profile/17400128470560688808noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-41809179139010498012018-11-21T05:24:12.209-08:002018-11-21T05:24:12.209-08:00प्रेम एक प्रकार से आनंद एवं आत्मतृप्पि का उपनाम है...प्रेम एक प्रकार से आनंद एवं आत्मतृप्पि का उपनाम है। चित्रलेखा उपन्यास में आनंद एवं आत्मतृप्पि के विभिन्न स्वरूप को तत्कालीन परिवेशों से जोडकर देखा गया है। चूंकि आनंद एवं आत्मतृप्पि का विषय विवादास्पद है;चित्रलेखा का प्रेम भी विवादास्पद रहा है। परिवेश एवं परिस्थिति से प्रेम के स्वरूप में परिवर्तन होता है। अनुकूल-प्रतिकुल परिस्थिति में आपका का उचित चयन ही प्रेम है। प्रेम न पाप है, न पुण्य है;सत्य Dibya Ranjan Sahuhttps://www.blogger.com/profile/17400128470560688808noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-38849440139732346582009-11-06T09:47:52.089-08:002009-11-06T09:47:52.089-08:00prem mein pap aur punya kya hota hai?jab tak bane ...prem mein pap aur punya kya hota hai?jab tak bane prem karo.<br />krishnabihariUnknownhttps://www.blogger.com/profile/02334863697929589797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-33049822478270045752009-11-02T04:31:59.243-08:002009-11-02T04:31:59.243-08:00गीता जी ! आपने बडे रोचक प्रसंग को उठाया
है ! मैंन...गीता जी ! आपने बडे रोचक प्रसंग को उठाया <br />है ! मैंने चित्रलेखा पढा है ,और राजकिशोर <br />जी के लेख भी ! भगवती चरण वर्मा की यह <br />कालजयी कृति है जो मनुष्य को व्यर्थ के <br />पाप बोध से मुक्त करती है !वास्तव में प्रेम के <br />विविध रूप हैं ! मेरा मानना है की प्रेम में <br />करुना जरुर होनी चाहिए ! आप देखिये <br />करुना और समवेदना के बगैर कोई भी <br />आनन्द पशुवत है ! कुमार गिरी की काम <br /Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-78676322329767165852009-10-30T09:57:41.499-07:002009-10-30T09:57:41.499-07:00प्रेम पर तो कुछ कहना ही कठिन है .. लगता है इसको कर...प्रेम पर तो कुछ कहना ही कठिन है .. लगता है इसको करने के बाद कई पाप हों जाते हैं ..बहुत कठिन है डगर ....... चित्रलेखा फिर पढ़नी हैप्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-52756974162510811282009-10-30T07:55:09.484-07:002009-10-30T07:55:09.484-07:00हम क्या कहें ? हमें तो अनुभवी लोगों के विचार का इं...हम क्या कहें ? हमें तो अनुभवी लोगों के विचार का इंतजार है। हमारा कुछ ज्ञानरंजन हो जाएगा।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-83779457913812652982009-10-30T05:35:06.850-07:002009-10-30T05:35:06.850-07:00★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
जय ब्लोगिग-विजय ब्लोगिग
★☆★☆★☆★☆★☆...★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★<br />जय ब्लोगिग-विजय ब्लोगिग<br />★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★<br /><br /><b>♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ <br />गीताश्रीजी!<br />मै इसे पढकर ही टीप्पणी कर पाऊगा।<br />♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ </b><br /><a href="http://dada1313.blogspot.com/" rel="nofollow">मुम्बई-टाईगर</a>हें प्रभु यह तेरापंथhttps://www.blogger.com/profile/12518864074743366000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-14287751255188015862009-10-30T03:23:38.592-07:002009-10-30T03:23:38.592-07:00एक अवधि के बाद अगर प्रेम ..श्रद्धा का रूप न ले पाए...एक अवधि के बाद अगर प्रेम ..श्रद्धा का रूप न ले पाए तो पाल सार्त्र की मान्यता..सच साबित हो जाने में देर नही लगती -"हम जिससे प्रेम करते हैं, उसे संपूर्णत: नहीं तो कुछ हद तक खा जाना चाहते हैं".चित्रलेखा पढी नही ,देखी है कई बार ...संगीत और अदाकारी के लिहाज़ से बहुत खूबसूरत फिल्म है ...पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-16599232844759586952009-10-30T01:35:48.882-07:002009-10-30T01:35:48.882-07:00गीताश्री ,आपने भगवतीचरण वर्मा से सार्त्र और फिर प्...गीताश्री ,आपने भगवतीचरण वर्मा से सार्त्र और फिर प्रेमचन्द् सभी की गलियाँ तलाश कर ली । मै तो अभी वर्मा जी के चित्रलेखा में ही अटका हुआ था और सोच रहा था कि उस समय इस तरह का इतना वर्णन भी वर्मा जी के लिये चतुराई था या दुस्साहस । चलिये अभी इतना ही फिर लौटकर आता हूँ ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.com