tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post589724300055119008..comments2023-10-05T08:02:34.441-07:00Comments on नुक्कड़: हम नहीं, आंकड़े बोलते हैंGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-21279056687649659962009-07-18T18:54:55.508-07:002009-07-18T18:54:55.508-07:00लड़कियों के लिए बहुत ज़रूरी है यौन सिक्षा क्यूंकि ...लड़कियों के लिए बहुत ज़रूरी है यौन सिक्षा क्यूंकि हर हाल में भुगतान उन्हें ही करना पड़ता है शारीरिक मानसिक और सामाजिक हर स्तर पर वे ही उत्तरदायी हैं हर घटना के लिए .. ये परम्पराएँ हिल तो रहीं हैं मगर टूटने लगता है खासा वक़्त लगेगा .. अगर ये आंकड़े सच हैं तो त्रासद हैं ..प्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-48611370163001967962009-07-17T04:59:57.544-07:002009-07-17T04:59:57.544-07:00नमस्कार गीता जी कब तक जुबान बंद रखूँगा अब तो बोलना...नमस्कार गीता जी कब तक जुबान बंद रखूँगा अब तो बोलना ही है सबसे पहले यैसे सर्वेक्षन की विश्वसनीयता पर मुझे और आप को भी एक दम विस्वाश नहीं कर लेना चाहिए मैं मानता हूँ की जनसँख्या के हिसाब से शिक्षा का स्तर कम हैपरन्तु इतना नहीं की आप ये निष्कर्ष निकाल सके <br />मैंने सर्बेक्षन होते देखे है सर्बेक्षन के निष्कर्ष मेंमें मैं सुब्रमनिअम जी की बात से पूर्णता सहमत हूँ की इनमे पहाड़ तील और तिल पहाड़ हो प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी)https://www.blogger.com/profile/01003828983693551057noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-41658575246970873792009-07-15T21:54:41.665-07:002009-07-15T21:54:41.665-07:00चिंता की बात है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretar...चिंता की बात है।<br /><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-46351122574057611342009-07-15T21:31:35.055-07:002009-07-15T21:31:35.055-07:00बहुत से शहर गांवो से भी गये गुज़रे है।अब नही संभल...बहुत से शहर गांवो से भी गये गुज़रे है।अब नही संभले तो फ़िर कभी नही संभल पायेंगे।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-74646306982511783262009-07-15T21:09:34.722-07:002009-07-15T21:09:34.722-07:00अच्छा आलेख।अच्छा आलेख।Kapilhttps://www.blogger.com/profile/15871506466698035418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-76164044214357623522009-07-15T09:04:02.896-07:002009-07-15T09:04:02.896-07:00आपकी पहल सराहनीय है बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है आपन...आपकी पहल सराहनीय है बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है आपने .anilhttps://www.blogger.com/profile/16782475492940797688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-80839913791960627962009-07-15T05:35:43.072-07:002009-07-15T05:35:43.072-07:00गर संभल गए होते लोग तो कैसे बढती ये आबादी
साड़ी ब...गर संभल गए होते लोग तो कैसे बढती ये आबादी <br />साड़ी बुराई ही खत्म न होगयी होती, जब सोच समझ के करते शादी !!<br />बहुत अच्छा लेख लिख अपने , बधाईमुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-62498136619045227332009-07-15T04:56:14.083-07:002009-07-15T04:56:14.083-07:00maidam mujhe to ye sarve ekdam bakvaas
lagte hain ...maidam mujhe to ye sarve ekdam bakvaas<br />lagte hain hamare yahan to ab pacchis sal ki aayu me shadiyan ho rahin hain <br />aap logon kyno keval yonshiksha par itna jor dete ho .uske alava bhi anya shiksha hain jisse vyabhichar kam ho sakta hai.tension pointhttps://www.blogger.com/profile/02092866969143339658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-34367310474118678772009-07-15T04:16:32.096-07:002009-07-15T04:16:32.096-07:00सही बात की है आपने गांव के मद्देनज़र ......वाकई ग्...सही बात की है आपने गांव के मद्देनज़र ......वाकई ग्रामीण इलाकों में 'युवा परामर्श केंद्र ' खोल देना चाहिए .....शायद इससे स्त्री की मौजूदा स्थिति में कुछ बदलाव हो .......,सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-46756448605031035522009-07-15T03:53:59.781-07:002009-07-15T03:53:59.781-07:00मैं आपके विचारों से पूर्ण रूप से सहमत नहीं हूँ । क...मैं आपके विचारों से पूर्ण रूप से सहमत नहीं हूँ । क्योंकि पूरे यू. पी. में यह औसत नहीं आ सकता। हाँ इतना जरूर है कि जहां पर िशक्षा का स्तर नीचे है वहाँ ऐसा सम्भव है । चँूकी यू. पी. का इतिहास देखें तो सरकारी सेवाओं में ग्राफ काफी उपर है और सरकार सेव बगैर िशक्षित हुए मतलब बगैर पढे नहीं मिल सकती । फिर भी जनसंख्या के हिसाब से िशक्षा का स्तर नीचे है ।Drmanojgautammanuhttps://www.blogger.com/profile/17119682554137493633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-59491760519762190962009-07-15T03:31:48.196-07:002009-07-15T03:31:48.196-07:00ये सच केवल हमारे देश के गांवों का नहीं है। शहरों म...ये सच केवल हमारे देश के गांवों का नहीं है। शहरों में रहनेवाले माता पिता भी अपने बच्चों को यौन शिक्षा नहीं देते है। ख़ुद पढ़े-लिखे बातों की समझ रखनेवाले ये माता-पिता ऐसी बातों से अपने बच्चों को दूर ही बेहतर मानते हैं।Diptihttps://www.blogger.com/profile/18360887128584911771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-31452155947473239392009-07-15T02:47:27.485-07:002009-07-15T02:47:27.485-07:00संजय कुमार मिश्र
आंकडे कुछ भी हों लेकिन सच्चाई यही...संजय कुमार मिश्र<br />आंकडे कुछ भी हों लेकिन सच्चाई यही है जो आपने बताया। बल्कि सच्चाई और भी भयावह है। कच्ची उम्र में दोनों पर ही जो बोझ या फिर जिम्मेदारी डाल दी जा रही है वाकई में इससे न तो उनका कुछ भला हो पा रहा है और न ही समाज का। ग्रामीण क्षेत्रों की हालत तो यह है कि 20 से 21 साल की लडकी जिसकी शादी हो गई है आप उसकी उम्र का सही अंदाजा तक नहीं लगा सकते। जिस उम्र में शादी होनी चाहिए उस उम्र में बकबकियाhttps://www.blogger.com/profile/14744143673857527535noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-21837607752493053652009-07-15T02:02:47.014-07:002009-07-15T02:02:47.014-07:00वैसे आपका कहना सही हो सकता है. परन्तु इन सर्वेक्षण...वैसे आपका कहना सही हो सकता है. परन्तु इन सर्वेक्षणों पर अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता.हमने सर्वे करने वालों का स्तर भी देखा है. साथ ही जब सर्वेक्षण होता है तो सांड भी बछड़ा बन जाता है और वेश्या भी एक कुमारी - एक दम अबोध. यौन शिक्षा के बगैर भी अब तक दुनिया फलती फूलती ही रही थी. इसका मतलब यह नहीं है की इस शिक्षा की आवश्यकता नहीं है. आज के बिगड़ते माहौल में जरूरी भी हो गया है.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.com