tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post3912559805070211205..comments2023-10-05T08:02:34.441-07:00Comments on नुक्कड़: शब्दों का सिराGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-26576257968811436062010-05-04T09:09:30.372-07:002010-05-04T09:09:30.372-07:00नारीवाद शब्द हमारे यहाँ आयात किया हुआ है इसलिये इस...नारीवाद शब्द हमारे यहाँ आयात किया हुआ है इसलिये इसके अर्थ भी उसी तरह ध्वनित होते हैं । इसे हमारे देश के परिप्रेक्ष्य मे देखना ही उचित होगा ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-48623116390192076352010-04-17T10:27:51.060-07:002010-04-17T10:27:51.060-07:00बहुत सही बात कही गई है की बाजार उस स्त्री के साथ ह...बहुत सही बात कही गई है की बाजार उस स्त्री के साथ है ! जो उसके उत्पाद बेचती है ! स्त्री को अपनी गरिमा का खुद ख्याल रखना होगा ! नारीवाद में कुछ सत्यता तो है ही ! बहुत बहुत बधाई !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-26254742773841410362010-04-17T09:45:36.245-07:002010-04-17T09:45:36.245-07:00शब्दों का सिरा आपने जहाँ तक फैलाया है विपिन जी ! व...शब्दों का सिरा आपने जहाँ तक फैलाया है विपिन जी ! वहाँ तक मुकम्मल तौर पर आप सही हैं ,ये बिल्कुल सच है की स्त्री -विमर्श को दिशाहीन बनाने की साजिश चल रही है और उसमे ऐसे स्त्री -पुरुष शामिल हैं जिन्हे स्त्री-अधिकार की न तो समझ है और न ही उन्हे स्त्री जागरूकता से कोई वास्ता है ;उन्हे तो बस 'नारीवाद' को उसके मूल स्वरूप से दूर एक बदशक्ल नारीवाद का ढिंढोरा पीटते हुये अपना मतलब हल करना होता है ,सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-21485636551413670242010-04-17T04:23:42.825-07:002010-04-17T04:23:42.825-07:00bahut hi achha lekh...
http://dilkikalam-dileep.b...bahut hi achha lekh...<br /><br />http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/दिलीपhttps://www.blogger.com/profile/15304203780968402944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-67092561405646659412010-04-17T02:16:13.123-07:002010-04-17T02:16:13.123-07:00यह तो जनसत्ता में ही पढ़ लिया है सुबह सवेरे। और द...यह तो जनसत्ता में ही पढ़ लिया है सुबह सवेरे। और दे दी है बधाई और स्कैनबिम्ब भी विपिन जी को।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-11924394431428666742010-04-17T01:52:13.728-07:002010-04-17T01:52:13.728-07:00लेख बहुत अच्छा लिखा है और लेखन से पता चलता है की आ...लेख बहुत अच्छा लिखा है और लेखन से पता चलता है की आप भी तक उस नारीवाद की छाया से दूर हैं <br /><br />बहुत खूबvipul chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/06031872663809343553noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-81388357778132831692010-04-17T01:32:25.845-07:002010-04-17T01:32:25.845-07:00बहुत खूब विपिन जी बहुत ही सार्थक मुद्दे पर लिखा ...बहुत खूब विपिन जी बहुत ही सार्थक मुद्दे पर लिखा है,,,, नारीवाद आजकल बहुत बहस का मुद्दा बना हुआ है आखिर नारीवाद है क्या क्या केवल पुरुष या परुष सत्तात्मक समाज का विरोध करना ही नारी वाद है या या फिर स्त्रियों को समाज में उनके उचित स्थान पर पहुचाने की चेष्टा ,, नारी वाद है ,,, नारीवादियो का एक बहुत बड़ा वर्ग इस पर दिग्भर्मित है ,,,,नारी उत्थान और समाज में उनकी स्थितिक बराबरी का मै पछ धर हूँ पर प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी)https://www.blogger.com/profile/01003828983693551057noreply@blogger.com