tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post3682746503969009221..comments2023-10-05T08:02:34.441-07:00Comments on नुक्कड़: एक समानांतर दुनिया के लोगGeetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-75908397407109120112009-07-03T08:42:16.646-07:002009-07-03T08:42:16.646-07:00bebaak kalam aur bebaak vishay kabil e..taarif hai...bebaak kalam aur bebaak vishay kabil e..taarif hai.mujhe lagta hai dilli high court ke nirnay ke baad bhi raah utni aasan nhn.per haan...ye nirnay vyaktigat rishton ke chunaav mein azaadi ki disha mein pehla kadam zarur hai.bharat jaise desh mein iss tarah ke rishte naye nhn..per shayad humein aadat ho chuki hai chhup chhupkar apne rishte aur zindagi jeene ki.yahaan her vyakti samaj ko jitna shefalihttps://www.blogger.com/profile/03119612991195758899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-14506485730298740312009-06-30T02:07:22.786-07:002009-06-30T02:07:22.786-07:00समलैंगिकता पर इस कदर हंगामा काटने की जरूरत क्या है...समलैंगिकता पर इस कदर हंगामा काटने की जरूरत क्या है। अब काट ही दिया है तो अपन भी शामिल होने की जुर्रत करते हैं। मुद्दा यह नहीं है कि सेक्स के कौन से तरीके और किनके बीच जायज है और कौन से नाजायज। मेरी नजर में यह मुद्दा व्यैक्तिक स्वातंत्र्य और समाज के परंपरावादी व्याख्याकारों के बीच का है। सवाल सिर्फ एक ही है, क्यों व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता को समाज के पैरोकार ध्वस्त करने में तुले रहते हैं। हर सभंवsumanthttps://www.blogger.com/profile/08039371704583364129noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-85990237902532046892009-06-30T01:55:08.347-07:002009-06-30T01:55:08.347-07:00गीता जी, मुद्दा आपने बहुत अच्छा उठाया है और मैं व्...गीता जी, मुद्दा आपने बहुत अच्छा उठाया है और मैं व्यक्तिगत रूप से इसके पक्ष में भी हूं. जो जिसके साथ सहजता से रह सके उसे उसके साथ रहने दिया जाए। पर बताइए क्या ऐसा हो पाता है। अभी तो हम ढोल पीट रहे हैं कि ये लोग हमारे समाज का सत्यानाश कर रहे हैं। ऐसे तो अराजकता आ जाएगी और न जाने क्या-क्या...। मैं ऐसे लोगों से पूछना चाहती हूं कि आप लोग तो प्यार करने वाले लड़के और लड़की को भी चैन से जीने नहीं देते। akankshahttps://www.blogger.com/profile/11427502104809043193noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-16395227502563675032009-06-29T23:43:19.115-07:002009-06-29T23:43:19.115-07:00ये मुद्दा एक सवेदनशील मुद्दा है जिस पर समाज के अलग...ये मुद्दा एक सवेदनशील मुद्दा है जिस पर समाज के अलग अलग तबको में एक स्वस्थ बहस की जरुरत है ..समस्या वहां शुरू होती है जब ऐसा कपल कुछ दिनों बाद एक बच्चे की चाह रखने लगता है ...तब उस बच्चे को कैसा वातावरण मिलेगा परेशानी यहाँ उत्पन्न होती है क्यूंकि तीन से छह साल की उम्र में बच्चो को जेंडर आईडेनटीफिकेशन की सामान्य वातावरण में दरकार होती है ..जाहिर है यहाँ किसी बच्चे का भी मूल अधिकार जुडा है ...वैसे डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-26926635675770598422009-06-29T11:52:48.082-07:002009-06-29T11:52:48.082-07:00her insaan ko khush rahane ka haq hai. lekin bhara...her insaan ko khush rahane ka haq hai. lekin bharat jaise desh men iss mudde per khul ker bahas hone men bhi thoda vaqt lagega aur virodh ka dhakosalaa kerenewale laathiyan bhi bhajenge.प्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-11715399153173426152009-06-29T07:46:50.972-07:002009-06-29T07:46:50.972-07:00badi baat likhi hai gitashri ji! par sach me is si...badi baat likhi hai gitashri ji! par sach me is sirf rajnit hogi.सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-36980939595544969142009-06-29T07:28:56.518-07:002009-06-29T07:28:56.518-07:00गीताश्री जी
बधाई !!!!!!! हिम्मत से च...गीताश्री जी <br /> बधाई !!!!!!! हिम्मत से चलती है आपकी कलम , ये तो सच है की कुछ हो न हो समलैंगिकता पर राजनीत जरुर शुरू हो जायेगी ....हमें अपनी ख़ुशी चुनने का हक तो मिलना ही चाहिए .सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-26636372014763782442009-06-29T06:01:19.538-07:002009-06-29T06:01:19.538-07:00भारतीय दंड संहिता में जब धारा तीन सौर सतहत्तर को श...भारतीय दंड संहिता में जब धारा तीन सौर सतहत्तर को शामिल किया गया तो जाहिर है की उस समय के परिवेश को ..और समाज को देखते हुए ही किया गया था..आज बहुत कुछ sachmuch ही बदल रहा है..अच्छा या बुरा..इस पर तो बहस जारी है..मैं अपने कार्यालीय अनुभव के आधार पर कुछ बातें कहना चाहता हूँ...अदालतों में धारा ३७७ के अर्न्तगत दर्ज कुल मुकदमों में से ८० प्रतिशत में नाबालिग़ मुजरिम होते हैं ,,,,,जिन पर बाल न्यायालय मेंअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-53400203382593222172009-06-29T06:00:26.117-07:002009-06-29T06:00:26.117-07:00भारतीय दंड संहिता में जब धारा तीन सौर सतहत्तर को श...भारतीय दंड संहिता में जब धारा तीन सौर सतहत्तर को शामिल किया गया तो जाहिर है की उस समय के परिवेश को ..और समाज को देखते हुए ही किया गया था..आज बहुत कुछ sachmuch ही बदल रहा है..अच्छा या बुरा..इस पर तो बहस जारी है..मैं अपने कार्यालीय अनुभव के आधार पर कुछ बातें कहना चाहता हूँ...अदालतों में धारा ३७७ के अर्न्तगत दर्ज कुल मुकदमों में से ८० प्रतिशत में नाबालिग़ मुजरिम होते हैं ,,,,,जिन पर बाल न्यायालय मेंअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-31463034633410198732009-06-29T05:26:10.253-07:002009-06-29T05:26:10.253-07:00मेरी व्यक्तिगत राय में ,ऐसा मुझे लगता है कि चूंकी...मेरी व्यक्तिगत राय में ,ऐसा मुझे लगता है कि चूंकी इस देश का सांस्कृतिक ताना-बना दूसरे ढंग का है शायद /संभवतः इस कानून को बनाने / लागू करने की बात तो छोडिये अभी चर्चा या बहस में भी यह लम्बे समय तक प्रतीक्षा सूची में रहेगा .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.com