tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post2245660260086654338..comments2023-10-05T08:02:34.441-07:00Comments on नुक्कड़: मैं गीताश्री!Geetashreehttp://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-47111423507117823222008-07-15T07:07:00.000-07:002008-07-15T07:07:00.000-07:00गीताश्री जी ,शायद वक््त का आपको अंदाजा नहीं...आपका...गीताश्री जी ,शायद वक््त का आपको अंदाजा नहीं...आपका ब््लाग वक््त से करीब १३ घंटे पीछे है। क््या आपका लेखन भी इस घड़ी की तरह तो नहीं!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05417733816290656072noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-62276608267531576732008-06-15T13:49:00.000-07:002008-06-15T13:49:00.000-07:00इसे चाहे जज्बाती बयान मान लीजिये पर ये सच है की मै...इसे चाहे जज्बाती बयान मान लीजिये पर ये सच है की मैं आउटलुक पत्रिका के तीन पत्रकारों का फैन हूँ।योगेश मिश्र, भाषा जी और आप का।<BR/><BR/>आपको ब्लॉग पर देख कर अच्छा लगा।<BR/>उम्मीद है बाकी लोगों से भी जल्द ही मुलाक़ात हो जाएगी।<BR/><BR/>मैं कुछ दावा तो नहीं करता लेकिन मैं भी थोड़ा सा कागज़ काला करता हूँ।<BR/>आपको इस्लाह के लिए दिखाऊंगा।<BR/><BR/>आप ऐसे ही लिखती रहिये ।<BR/>भाषा जी और योगेश जी को NILAMBUJhttps://www.blogger.com/profile/07995469082747923045noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-76179699017089221642008-04-28T02:24:00.000-07:002008-04-28T02:24:00.000-07:00औरत अगर एक रात है....तो हमें उस सुबह का इंतजार है....औरत अगर एक रात है....तो हमें उस सुबह का इंतजार है...जहां रोशनी होगी।<BR/>आपकी चिंता और जिद की कद्र करता हूं,लेकिन रोशनी की तरफ शुरुआत बहुत आसान नहीं। क्योंकि...<BR/>अंधेरे के पास वक्त की कमी नहीं <BR/>हमेशा जल्दी में होता है उजाला।<BR/>मैं फुटपाथ पर हूं...अब मुलाकात होगी। मेल आईडी दें। नुक्कड़ के लिए कुछ अच्छे कोलॉज हैं मेरे पास।<BR/>शुक्रिया<BR/><BR/><BR/><BR/><BR/><BR/> के हिस्से में आई अंधेरोंdeo prakash choudharyhttps://www.blogger.com/profile/00319831311508843572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-14196041367831433692008-04-06T22:18:00.000-07:002008-04-06T22:18:00.000-07:00आपकी शुरुआत का इंतज़ार है ।पर जैसा कि अविनाश ने कहा...आपकी शुरुआत का इंतज़ार है ।<BR/>पर जैसा कि अविनाश ने कहा कि -पढ़े-लिखे तकनीकी लोग भी उन्हीं सामाजिक खोलों से आये हैं, जहां पुरुषों का रचा हुआ अंधेरा है। यहां भी आपको लड़ना पड़ेगा और अपने लिए जगह बनानी पड़ेगी।----<BR/>तो जगह बानाने की लड़ाई मे एक कारवाँ भी तैयार हुआ है -चोखेर बाली -यानी आँख की किरकिरी । पता है sandoftheeye.blogspot.com<BR/>हममें से ज़्यदातर महिलाएँ पत्रकारिता से नही हैं , बल्कि अलग सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-80258462764114367182007-04-10T13:35:00.000-07:002007-04-10T13:35:00.000-07:00मनीषा जीआप बिल्कुल सही बात कह रही हैं। मैं आपसे पू...मनीषा जी<BR/><BR/>आप बिल्कुल सही बात कह रही हैं। मैं आपसे पूरी तकह सहमत हूं। औरत ही औरत की दुश्मन होती है और एक दूसरे के राहों में कांटे बिछाती हैं। अपनी देह को जाल-कांटा बना देने वाली औरतों ने जेनुइन औरतो का रास्ता रोक रखा है। मुझे नहीं लगता है कि औरत जात अपनी जात को कभी समझ पाएगी और उनका रास्ता छोड़ पाएगी। हमारा संघषॅ उनकी बेहतरी के लिए है। ये औरतें आदमियों की साजिश कभी समझ नहीं पाएंगी। बहरहाल Geetashreehttps://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-66921401009809664382007-04-08T10:40:00.000-07:002007-04-08T10:40:00.000-07:00mahilaon ki dushman aksar mahila hi hoti hai gitaj...mahilaon ki dushman aksar mahila hi hoti hai gitaji. khaskar madhyamvarg me. saas aur bahu, nand aur bhabhi.... aur aurat ki sauten bhi aurat hi hoti hai. mardvadi satta ko chunauti dene ke saath saath hume ek doosre ko bhi samajhna hoga aur parakhna hoga..... aur kyon hum kisi ki ijazat ka intezar karen, raasta dekhen ya zikr karen.ijazat shabd hume chota bana deta hai. hum apne ap me ek entity Unknownhttps://www.blogger.com/profile/15015523118429535629noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-35220366511587346622007-03-20T04:18:00.000-07:002007-03-20T04:18:00.000-07:00अविनाश जी, आपकी पाती पढी। जिंदगी और समस्याओं को दे...अविनाश जी, आपकी पाती पढी। जिंदगी और समस्याओं को देखने का मेरा अपना नजरिया है। शायद यही मेरी तमाम मुसीबत का कारण भी है। इस समाज में हम औरतों को इजाजत नहीं होती। हमें तो आदत सी हो गई है...जीवन के बहुत साल हमने यूं ही निकाल दिए। अब बदलाव सामने है...मैं महानगरों की महिलाओं के बारे में कभी बात नहीं करती। मैं चाहती हूं अपने ब्लाग के जरिए गुमशुदा अंधेरे कोने में बिलबिलाती मध्यवगीय औरतों के सपनों पर Geetashreehttps://www.blogger.com/profile/17828927984409716204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8183485004815148401.post-26585359117405344752007-03-16T03:45:00.000-07:002007-03-16T03:45:00.000-07:00गीता जी, आपका इस दुनिया में स्वागत है। हालांकि ये...गीता जी, आपका इस दुनिया में स्वागत है। हालांकि ये दुनिया भी कुछ वैसी ही है, जैसी द्रष्टव्य दुनिया का विवरण आपने दिया है। पढ़े-लिखे तकनीकी लोग भी उन्हीं सामाजिक खोलों से आये हैं, जहां पुरुषों का रचा हुआ अंधेरा है। यहां भी आपको लड़ना पड़ेगा और अपने लिए जगह बनानी पड़ेगी। हमारी खूब खूब शुभकामनाएं।Avinash Dashttps://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.com